संस्कृति आर्य गुरुकुलम् का पावन परिचय

संस्कृति आर्य गुरुकुलम्” पिछले ५० सालों से कार्यरत एक ऐसी संस्था है, जिसने आदिकाल से चली आ रही गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखते हुए, आज तक विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली “गुरुकुल शिक्षा पद्धति” को टिकाये रखा है ।

स्थापना और उद्देश्य

“संस्कृति आर्य गुरुकुलम्” की स्थापना, सन् १९७० में परम पूज्य विश्वनाथ शास्त्री यानि दातार गुरुजी के द्वारा विद्यानगरी काशी यानि वाराणसी (बनारस) में हुई । जिसका मुख्य उद्देश्य “वर्तमान भारत की शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज व्यवस्था में सुधार करके, उसको पुनः स्थापित करने का है ।” इस प्रकार, गुरुकुलम्

(१) शिक्षा का भारतीयकरण,

(२) चिकित्सा का ध्रुवीकरण और

(३) संस्कारों का सामाजिकरण

इन तीन स्तर पर कार्य करता है ।

कार्यक्षेत्र और संकल्प

संस्कृति आर्य गुरुकुलम् “पंचकोश विकास” के सिद्धांत पर आधारित शिक्षा के द्वारा, व्यक्ति का संपूर्ण विकास करके, समाज व्यवस्था में परिवर्तन करने का कार्य करता है। यानी पहले “शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व निर्माण” और बाद में “व्यक्तित्व निर्माण के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन” यह संस्कृति आर्य गुरुकुलम् की कार्यपद्धति है । एवं यह व्यवस्था परिवर्तन का कार्य अविरत रूप से चलता रहे इस हेतु से, गुरुकुल ने “१०८ आचार्य” और “१००८ वैद्य” तैयार करने का भी संकल्प किया है ।

वर्तमान स्थिति और कार्य

अपने महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए, गुजरात राज्य के राजकोट शहर के पास सुंदर-मनोरम व नैसर्गिक वातावरण में आज भी “संस्कृति आर्य गुरुकुलम्” कार्यरत है । इस प्रकार, यह एक ५० साल से कार्यरत संस्था है और आज भी जिज्ञासु एवं अभ्यासु छात्रों को बिना किसी भेदभाव के उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करती है । साथ में गुरुकुल दातार गुरुजी ने जो समाज उपयोगी प्रकल्प दिये है, उसका विविध प्रवचन, अभियान व शिविर के माध्यम से ऑनलाइन व ऑफ़लाइन प्रचार-प्रसार भी करता है ।

अवार्ड और उपलब्धियां

संस्कृति आर्य गुरुकुलम् की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है की,

उसने १०० से भी ज्यादा जीवनोपयोगी विषयों का पुन:संकलन किया और उसे विलुप्त होने से बचाया ।

उसके बाद दूसरी उपलब्धि यह है की,

सुवर्णप्राशन और गर्भ संस्कार जैसे विषयों को पुनर्जीवित किया और राष्ट्रपति पुरस्कार एवं उप-राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त किया ।

उसके बाद तीसरी उपलब्धि यह है की,

उसने पुष्य नक्षत्र पर बच्चों को निःशुल्क सुवर्णप्राशन पिलाने का विश्व का सबसे बड़ा मूवमेंट चलाया और वर्ल्ड रेकोर्ड बनाया ।