” मंत्रौषधि – सुवर्ण – प्राशन ”

आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रन्थ ” कश्यप संहिता ” में सुवर्णप्राशन का महत्व एवं उनकी निर्माण विधि बताई गई है | हमारी संस्था द्वारा ” कश्यप संहिता ” में वर्णित विधि से ही पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण करते हुए, सात्विक एवं पवित्र वातावरण में यह प्रश्न बनाया जाता है |

सुवर्णप्राशन :- आयुर्वेदिक टीकाकरण

आधुनिक टीकाकरण के विषय में तो कई जानकारियां, अनेक प्रचार – माध्यमों के द्वारा हम प्राप्त करते ही है, परंतु सुवर्ण–प्राशन, जो हमारे पुर्वजोने विकसित की हुई एक ऐसी टीकाकरण की व्यवस्था है की यदि प्रत्येक बालक को प्रतिमाह पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर इसे दिया जाये तो बहोतसे रोगोके प्रभाव से शिशु को – बालक को सुरक्षित रखा जा सकता है |

सुवर्णप्राशन के प्रमुख लाभ

१. बालकोंकी बुद्धि, मेधा, रोग – प्रतिकारक शक्ति बढाती है
२. वाइरल इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है
३. बालकोंका चिड-चिडापन, अनिंद्रा आदि दूर होते है

सुवर्ण प्राशन कैंप की कुछ छबियाँ

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