Description
गर्भ संस्कार यानी उत्तम मनुष्य का निर्माण
किसी भी प्राणी या मनुष्य के जन्म स्थान का और उसकी ऊर्जा का गहरा प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है। आज जहां पर मनुष्य जन्म लेता है वही स्थान सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। हॉस्पिटल, पूरी तरह से यंत्र बन गया है। वहां पर मानवता, मूल्य या सज्जनताका कोई भी मूल नहीं रह गया है।
आप परीक्षा करें। यदि किसी के पास पैसा नहीं है तो, बालक के जन्म में तकलीफ होगी। मनुष्यता एवं मनुष्य से भी ज्यादा पैसों की कीमत बढ़ गई है।
बहुत लोगोंको स्वदेशी संस्थानवालों को, यह दु:ख है कि, डॉलर के सामने पैसे की कीमत लगातार घट रही है। यह अवश्य दुख की बात हो सकती है किंतु, सबसे बड़ी दु:ख की बात है कि पैसों के सामने मनुष्य की कीमत लगातार घट रही है।
आज गर्भ विज्ञान एवं गर्भ संस्कार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, क्योंकि मनुष्य अभी पशु की कगार पर पहुंच गया है।
अब वह राक्षस बनने में अग्रसर है। अब तक केवल माता-पिता को भूल कर, उसको छोड़ देता था। यह पाशविक वृत्ति थी। किंतु अब वह माता-पिता को अपमानित, दुखी एवं पीड़ित करने का शुरू कर रहा है। वह पशु से राक्षस की ओर जा रहा है।
उसको पाशविकता से मनुष्यता की ओर, लाने का प्रथम चरण गर्भ विज्ञान एवं गर्भ संस्कार है। यह जितना जल्दी हम समझेंगे उतना जल्दी हमारा कल्याण होगा।
संस्कृति आर्य गुरुकुलम् अपने अनेकविध कार्यों में गर्भ संस्कार को प्रधानता देता है। उसका एकमात्र कारण है-
मनुष्य के निर्माण के बिना का सभी कुछ निर्माण, निर्वाण मात्र है। वह १ के बिना का ० है, उसकी कुछभी कीमत नहीं है। पूर्ण जगत आज ० के सर्जन में लगा है। वे जो कर रहे हैं, उसकी कीमत बढ़ाने का कार्य में कर रहा हैं, क्योंकि मैं १ का सर्जन कर रहा हूं।
यह १ का सर्जन अर्थात गर्भ विज्ञान, गर्भ संस्कार और अध्यात्म। १ के सर्जन से ही सारे ० की कीमत है। गर्भ विज्ञान पुस्तक में पूरा विवरण दिया गया है, पूज्य गुरुजी विश्वनाथ जी के पूरे जीवन के अनुभव का सार इस पुस्तक में दिया गया है।
Reviews
There are no reviews yet.