हमारे संस्कृति संवर्धन संस्थानम के ” गुरुकुल निर्माणकार्य ” कुछ इस तरह से है…

  • गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था में केंद्रबिंदु ऐसे आचार्यों का निर्माण करने के लिए समय समय पर विविध स्थानों पर शिविर (Workshop) का आयोजन,
  • आयुर्वेद, भाषा, विज्ञान, दर्शन(तत्वज्ञान),तथा वैदिक गणित जैसे भारतीय विषयों पर जिज्ञासुओंको ज्ञान प्राप्त हो इस हेतु सेमिनार तथा शिविरों का आयोजन,
  • भविष्य में पुरे भारत में १००० आचार्योंका निर्माण करनेका संकल्प, सभी स्थानों पर लघु गुरुकुलम का मार्गदर्शन तथा उसके शिक्षक निर्माण करने के लिए प्रक्षिशण तथा अभ्यासक्रम
  • बालिका शिक्षण के लिए विशिष्ट रूप से महिला आचार्या का निर्माण,
  • ४ दिन से लेकर ४० दिनों तक का आचार्या प्रशिक्षण वर्ग
  • निवासी गुरुकुल, अंशकालीन गुरुकुल लघु गुरुकुल तथा
  • साप्ताहिक गुरुकुल इन सबके आचार्यगण को सभी विषयोंका मार्गदर्शन तथा प्रयोगात्मक समज,
  • उपनिषद के आधार पर पंचकोशात्मक विकास की सरल तथा विस्तृत प्रस्तुति,
  • गुरुकुल शिक्षा में पंचकोश विकास विकास के लिए बताये गई सिद्धांत तथा उसका व्यवहारीकरण,
  • दैनंदिन जीवन में पंचकोश विकास की संमायोजना,
  • विद्यार्थीयो में पंचकोश विकास की अनिवार्यता,
  • आयुर्वेद के अनुसार पंचकोश विकास,
  • पंचकोश विकसित हुए हो ऐसे चरित्रों की दृष्टांत कथाये,
  • पंचकोश की सरल समज के लिए ‘पंचकोश विकास गीत’,
  • गीता में पंचकोश विकास।
  • आयुर्वेद की शास्त्रीयता एवं वैज्ञानिकता का संपूर्ण परिचय,
  • आधुनिक काल में भी आयुर्वेद की उपयोगिता एवं अनिवार्यता,
  • आयुर्वेद की विभिन्न शाखायें,
  • अष्टांग आयुर्वेद परिचय,
  • व्यावहारिक एवं सामाजिक आयुर्वेद,
  • चरक, सुश्रुत, वाग्भट, भावमिश्र, इत्यादि ऋषियोंके ग्रंथो का
    परिचय,
  • विविध वनस्पति एवं उनके उपयोग की जानकारी,
  • जीवकाचार्य के जीवन प्रसंग द्वारा आयुर्वेद,
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयुर्वेद,