संस्कृति आर्य गुरुकुलम् मे आपका स्वागत है

पाश्चात्य व्यवस्थाओ में से सबसे ज्यादा कोई निष्फल हो और सबसे ज्यादा नुकसान किसी व्यवस्थासे हुआहो तो वह है शिक्षाव्यवस्था ।आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के ऐसे दुष्परिणामों को देखते हुए इस शिक्षा पद्धतिका प्रबल विकल्प जरुरी है और वह विकल्प है – सम्पूर्ण आचार्य केंद्रित भारतीय संस्कृतिकी मूल्य आधारित “सर्वांगीण गुरुकुल शिक्षा पद्धति“, सर्वांगीण गुरुकुल शिक्षा ।

“संस्कृति संवर्धन संस्थानम्” संस्कृति, राष्ट्र, समाज एवं भगवद् कार्यों को संपूर्ण समर्पित संस्था है। समाजको स्थिर करने के लिए तथा विकसित करने के लिए समाज शिक्षा या सर्वांगीण शिक्षा अति आवश्यक है। यहाँ संस्था किसीभी प्रकार के भेदभाव के बिना “सर्वभूतहितेरताः” यह सिद्धांत को ध्यानमें रखते हुए, सर्वभूत के कल्याणहेतु “इदंभगवतेनमम” यह यज्ञीय भावना से संस्कृति के प्रायः सभी अंगोको पुष्ट करने के लिए अविरत कार्यशील है।


विद्याधनं सर्व धनं प्रधानम्

– भारतीय जीवन दर्शन
विद्या धन समस्त धनो में सर्व श्रेष्ठ धन होता है। न कोई चोर इसको चुरा सकता है ,न कोई राजा जबरन इसे छीन सकता है, न भाई इसको बाँट सकता है तथा इस धन का न कोई अतिरिक्त भार ही होता है। व्यय करने पर इसमें निरन्तर वृद्धि ही होती है।

न चोर हार्यम् न च राज हार्यम् ,
न भ्रातु भाज्यम् न च भारकारी ।

व्यये कृते वर्धते एव नित्यम्,
विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।।


“संस्कृति संवर्धन संस्थानम्” का परिचय

वाराणसी के सुप्रसिद्ध विद्वान श्री विश्वनाथ शास्त्री दातार गुरुजी के प्रेरणा व सम्पूर्ण मार्गदर्शन से यह संस्था स्थापित हुई। यह ट्रस्ट 2013 में पंजीकृत हुआ।

भारत के विभिन्न स्थानो मे भारतिय संस्कृति के मूल्यों का प्रचार करना, समान्य लोगों तक भगवद् गीता, वेद, उपनिषद के उपदेशो को पहुँचाना, गुरुकुल शिक्षा का महत्व जनमानस तक पहुँचाने के लिए विविध सेमिनार व वर्कशॉप करना, लोगो का स्वास्थ्य तथा तंदुरुस्ती बढ़े इसलिए आयुर्वेद व शास्त्रो के अनुरूप विभिन्न संहिता तथा ग्रंथो के अध्ययन के आधार पर सर्वसामान्य व्यक्ति समझ सके ऐसी शैली में व्याख्यान तथा प्रशिक्षण करना, बालको के लिए बाल संस्कार केंद्र, युवाओ को लक्ष्य तथा दिशा मीले इसके लिए युवा शिविर, वृद्धो को भी जीवन में अपने कर्तव्य निभाने का अवसर हेतु जीवन संध्या कार्यक्रम।

समाज के हर एक क्षेत्र में लोगों को ऊपर उठाने के लिए भारतीय संस्कृति के आधारभूत ग्रंथो को प्रमाणभूत आधार रखकर यह संस्था देश तथा विदेश में विविध विषयो पर सेमिनार के तहत अनेक कार्यक्रम कर रही है। प्रायः सभी कार्यक्रम नि:शुल्क या स्वैच्छिक दान पर हो रहे है। संस्था का कोई व्यवसायिक उद्देश्य नही है। केवल समाज मे अच्छे विचार पहुँचे, व्यक्ति जागरूक हो व हमारे भारतिय संस्कृति के जो मूल्यवान विचार है उसका प्रचार एवं प्रसार हो इस हेतुसे संस्था अविरत कार्यशील है।