
संस्कृति आर्य गुरुकुलम्
आपका स्वागत करता है
पाश्चात्य व्यवस्थाओ में से सबसे ज्यादा कोई निष्फल हो और सबसे ज्यादा नुकसान किसी व्यवस्थासे हुआहो तो वह है शिक्षाव्यवस्था ।
आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के ऐसे दुष्परिणामों को देखते हुए इस शिक्षा पद्धतिका प्रबल विकल्प जरुरी है और वह विकल्प है – सम्पूर्ण आचार्य केंद्रित भारतीय संस्कृतिकी मूल्य आधारित“सर्वांगीण गुरुकुल शिक्षा पद्धति“, सर्वांगीण गुरुकुल शिक्षा ।
हमारे कार्य
गुरुकुलम उत्पाद क्यों बनाता है ?
संस्कृति आर्य गुरूकुलम् पिछले 50 सालोंसे वर्तमान भारत को सुव्यवस्थित एवम् आने वाली पीढ़ियो को वैचारिक रूप सेएवं शारीरिक रूप से मजबूत कैसे बनाया जाए इसके लिए विभिन्नक्षेत्र मे कार्यरत है | आयुर्वेद के क्षेत्र मे संस्कृति आर्य गुरूकुलम् अविरतसेवादे रहा है |
स्वावलम्बनया आत्मनिर्भरता इस ऋषिकुल परम्परा गुरूकुलम् का एक मूल सिद्धांत है।
स्वस्थहोने के लिए असाधारण गुणों और वैज्ञानिक ज्ञान के साथ आयुर्वेद में कई दवाएं (औषधि) हैं लेकिन यह मुख्यधारा में नहींहै या अपने शुद्ध रूप में उपलब्ध नहीं है।
संस्कृति आर्य गुरुकुलम इस भूमि केअंतिम कोने तक ऐसी दवाओं, उत्पादों और ज्ञान को लाने के लिए प्रतिबद्धहै। गौ सन्स्क्रुति के अन्तर्गत ऐसे सभी उत्पाद आप के लिये उपलब्ध कराये गये हैं।
संस्कृति आर्य गुरुकुलम् में प्रवेश हेतु…
अपने बालको के गुरुकुलम में दाखिला दिलाने के आवश्यक जानकारी एवं दाखिला – पत्र के लिए कृपया यहाँ क्लिक करे।
आयोजन
अग्निहोत्र का महत्व
अग्निहोत्र शब्द अग्नि और होत्र दो शब्दो से बना है। जिसका अर्थ होता है अग्नि में हव्य विभिन्न पदार्थों का विधिपूर्वक डालना प्रक्षेप करना। केवल अग्नि में किसी वस्तु को जलाना यह अग्निहोत्र नहीं कहलाता है परंतु यथाविधि विधि पूर्वक उसका होम आवश्यक है। रघुवंश महाकाव्य में रघुवंशी राजाओं के विजय का रहस्य “यथा विधि […]
मंत्रौषधि का आयाम
मंत्रौषधि वेदों में तथा आयुर्वेद में औषधियों के साथ मंत्रों का भी विवरण दिया है लेकिन जितना औषधियों पर कार्य हुआ है उतना मंत्र पर नहीं हुआ है। वेद की व्याख्या करते हुए भी बताया है: “ मंत्रब्रह्मणियो वेदनाम श्रेयम । ” मंत्रात्मक यही वेद है वहां पर भी प्राचीन साहित्य को जब हम अवलोकन […]
एक नम्र प्रार्थना…
गुरुकुलम् शिक्षा पद्धति मे छात्रो या उनके माता पिता से कोई फीस या दान नहीं लिया जाता है। यह गुरुकुलम् के पारंपरिक सिद्धांतो पर आधारित है कि भोजन, ज्ञान और दवा बेची नहीं जानी चाहिए। कुछ उदार परोपकारी और धार्मिक संस्थानों द्वारा नकद या इस तरह के योगदान के माध्यम से गुरुकुलम् को बनाए रखने का बोझ उठाया जाता है। संस्कृति गुरुकुलम् भी इसी विचार से प्रेरित एवम् कार्यरत है। आपका संस्कृति गुरुकुलम् को योगदान भारतीय आयकर नियम (८०-जी) से मुक्त है। अगर आपके पास कोई टिप्पणी या सुझाव है, तो कृपया हमें लिखें।