संस्कृति आर्य बाल शाला
पूर्व प्राथमिक वैदिक शिक्षा पाठ्यक्रम
भारत में पहली बार ३ – ५ वर्ष के बालक बालिकाओं के लिए पूर्व प्राथमिक शिक्षा की संस्कृति आर्य शाला का पाठ्यक्रम! इस बाल शाला कार्यक्रम में बच्चों के पंचकोशीय विकास का समष्टिगत व समुचित विचार है।
पूर्व प्राथमिक औपचारिक शिक्षा का २ वर्ष का ये पूरा पाठ्यक्रम संस्कृति आर्य गुरुकुलम द्वारा निर्मित किया गया है।
संस्कृति आर्य बाल शाला अन्य पूर्व प्राथमिक स्कूलों से भिन्न कैसे है ?
आज से २५०० वर्ष पूर्व पाणिनि मुनि द्वारा लिखित ‘अष्टाध्यायी’ व पाणिनीय शिक्षा को मानव मस्तिष्क द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कहा जाता है (कई विश्वप्रसिद्ध विद्वानों, व्याकरणकारों, भाषा विषेषज्ञों ने अपने अनुसन्धानों में ये माना है)। इस पुस्तक के और तर्क् सङ्ग्रह, योगदर्शनम, भगवतगीता व चाणक्यनिति के आधार पर बनाये हुए नियमों का व्यव्हारिकरण और बच्चों को सरलतम तरीके से पढ़ाने के प्रयोग के बाद इस पद्धति को संस्कृति आर्य बाल शाला में अध्ययन विधि के रूप में अपनाया गया है।
संस्कृति आर्य बाल शाला की मुख्य विशेषताएँ
- अध्ययन पद्धति २६ अध्ययन-पठन पद्धतियों में से अधिकतम का उपयोग
- पंचकोष विकास के अनुरूप नियम व व्यवहार
- अध्यापकों, आचार्यों तथा संचालकों में संवादपूर्ण वातावरण
- बच्चों के व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े ऐसा वर्तन व्यवहार व अध्यापकों तथा कार्यकर्ताओं को पूर्ण ज्ञान व आचरण
- अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम व नियमित नवीनीकरण
- अभिभावक संपर्क व संवाद। अभिभावकों का शाला सम अनुकूल वातावरण घर पर बनाने के लिए सशक्तिकरण
- बच्चों के लिए कोई पुस्तक नहीं! शिक्षा का आधार अनुभूति है अतः’क’ ‘ख’ ‘ग’ (कहानी, खेल, गीत व गतिविधि) से अनुभव आधारित शिक्षा
- भाषा का मनोवैज्ञानिक क्रमिक परिचय – श्रवण भाषण वाचन लेखन
- १० विषयों के संदर्भ से शिक्षा व ज्ञान का आरंभ
- बालक के सम्पूर्ण व समष्टिगत विकास पर केंद्रित– ज्ञान, अभिव्यक्ति, शरीरिक विकास, आचरण व चरित्र निर्माण