मंत्रौषधि
वेदों में तथा आयुर्वेद में औषधियों के साथ मंत्रों का भी विवरण दिया है लेकिन जितना औषधियों पर कार्य हुआ है उतना मंत्र पर नहीं हुआ है।
वेद की व्याख्या करते हुए भी बताया है: “ मंत्रब्रह्मणियो वेदनाम श्रेयम । ”
मंत्रात्मक यही वेद है वहां पर भी प्राचीन साहित्य को जब हम अवलोकन करते हैं उसमें मंत्र का विवरण मिलता है।
स्वामी दयानंद सरस्वती तथा अन्य वैदिक विद्वानों ने मंत्र के अर्थ को ज्ञापित किया है आधिभौतिक आधिरदेवीक अर्थ और आध्यात्मिक अर्थ।
आयुर्वेद में भी मंत्र के द्वारा चिकित्सा करने का बहुत जगह पर प्रतिपादन हुआ है। आयुर्वेद में विभिन्न ग्रंथों में बताया है
उत्तमो मांत्रिकों वैध्य
मध्यमों मुलका:दिभि
अधमो शस्त्र देहाभ्याम
मंत्रिक वैध्य उत्तम माना गया है, मंत्र से चिकित्सा करने वाले को उत्तम बताया गया है।
आयुर्वेद में त्रिविध चिकित्सा में देवव्यपाश्रय चिकित्सा को उत्तम बनाया गया है।